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वित्तीय बाजार कमोडिटी सहित ट्रेडिंग के लिए विभिन्न संपत्तियां प्रदान करते हैं। तीन प्रमुख कमोडिटी श्रेणियां हैं: ऊर्जा, कृषि और धातु। आपको सोने के बुलियन, तेल के बैरल या गेहूं के बैग के मालिक होने की आवश्यकता नहीं है। फ्यूचरस, सीएफडी और म्यूचुअल फंड के माध्यम से कमोडिटी की ट्रेडिंग की जाती है। किसी भी अन्य वित्तीय साधन की तरह, हिस्टोरिकल प्राइस मूवमेंट, फंडामेंटल फैक्टर्स, और मार्किट सेंटिमेंट एक कमोडिटी की दर को प्रभावित करती है। इसलिए, आपको उन कमोडिटी ट्रेडिंग रणनीतियों को लागू करने की सलाह दी जाती है जो आपको अपने ट्रेडों की संरचना में मदद करेगी। नीचे, आपको सर्वोत्तम कमोडिटी ट्रेडिंग रणनीतियाँ मिलेंगी।
भारतीय कमोडिटी ट्रेडिंग 1875 में शुरू हुई जब एक संगठित कमोडिटी ट्रेडिंग सेंटर, यानी बॉम्बे कॉटन ट्रेड एसोसिएशन की स्थापना हुई। यह भारत में फ्यूचरस ट्रेडिंग की शुरुआत थी।
1. रेंज ट्रेडिंग
आश्चर्यचकित न हों – रेंज ट्रेडिंग रणनीति किसी भी वित्तीय बाजार में उपयोग किए जाने वाले बुनियादी ट्रेडिंग एप्रोचों में से एक है।
यह एक साधारण कमोडिटी ट्रेडिंग रणनीति है, जिसकी अवधारणा सपोर्ट और रिज़िस्टन्स स्तरों से कमियों पर ट्रेड करना है। जब कीमत सपोर्ट सीमा से वापस आती है, तो एक लंबी पोजीशन खोलें। यदि रिज़िस्टन्स स्तर के स्पर्श के बाद दर नीचे जाती है, तो परिसंपत्ति को बेच दें।
कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए रणनीति प्रभावी है, क्योंकि कीमतों में सबसे ऊपर और नीचे आपूर्ति और मांग कारक से अत्यधिक प्रभावित होते हैं। जब मांग बढ़ती है, तो कीमत चरम पर पहुंच जाती है। इसके विपरीत, आपूर्ति में वृद्धि और मांग में गिरावट कीमत को नीचे खींचती है।
रेंज ट्रेडिंग का तात्पर्य बोलिंगर बैंड और एलीगेटर जैसे चैनल संकेतकों के उपयोग से है। साथ ही, जैसे-जैसे कीमत ऊपर और नीचे जाती है, आप ओवरसोल्ड और ओवरबॉट क्षेत्रों का निर्धारण कर सकते हैं। आरएसआई (RSI) और स्टोकास्टिक (Stochastic) ऐसे क्षेत्रों को दर्शाते हैं और मूल्य वसूली पर ट्रेड खोलने का अवसर देते हैं।
ट्रेडर्स को यह याद रखना चाहिए कि अधिकांश कमोडिटीज अत्यधिक अस्थिर होती हैं। इसका मतलब है कि कीमत सपोर्ट और रिज़िस्टन्स स्तरों से आगे बढ़ सकती है, जिससे जोखिम हो सकता है। इसके अलावा, कमोडिटीज को लंबी अवधि के लिए ओवरसोल्ड और ओवरबॉट किया जा सकता है। इसलिए, एंट्री और एग्जिट बिंदुओं को परिभाषित करना मुश्किल हो सकता है।
2. फंडामेंटल ट्रेडिंग
कमोडिटी अत्यधिक फंडामेंटल फैक्टर्स (मौलिक कारकों) पर निर्भर करती है। कमोडिटी बाजार का प्रतिनिधित्व विभिन्न फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट (वित्तीय साधनों) द्वारा किया जाता है, और उन सभी के लिए कोई सामान्य कारक नहीं हैं। बाजार में प्रवेश करने से पहले, आपको यह जानना चाहिए कि किसी विशेष संपत्ति को क्या प्रभावित करता है।
उदाहरण के लिए, यदि दुनिया के सबसे बड़े तेल उपभोक्ताओं (यूएसए, चीन और भारत) में से कोई भी मांग में वृद्धि की घोषणा करता है, तो कच्चे तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी। इसलिए, ट्रेडर एक लंबी पोजीशन खोल सकता है। इसके विपरीत, यदि कोई सबसे बड़ा तेल उत्पादक उत्पादन में वृद्धि का संकेत देता है, तो कीमत में गिरावट आएगी, और ट्रेडर्स तेल बेचना शुरू कर देंगे।
एक अन्य उदाहरण कृषि माल है। उनकी कीमतें मौसम के कारक से प्रभावित होती हैं। उदाहरण के लिए, गर्मियों के दौरान सूखापन गेहूं के उत्पादन में कमी लाएगा। यह कीमत को आगे बढ़ाएगा, क्योंकि मांग आपूर्ति पर काबू पा लेगी।
आप तकनीकी विश्लेषण के साथ मौलिक कारकों को जोड़ सकते हैं ताकि इंडीकेटर्स और पैटर्न एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स पर संकेत प्रदान करें। फिर भी, इस रणनीति के लिए अधिक समय की आवश्यकता होगी, क्योंकि आपको समाचार पढ़ने, आर्थिक आंकड़ों की जांच करने और किसी विशेष संपत्ति की कीमत पर उनके प्रभाव का विश्लेषण करने की आवश्यकता होगी।
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उपसंहार
कमोडिटी बाजार का प्रतिनिधित्व विभिन्न परिसंपत्तियों द्वारा किया जाता है। उन सभी के लिए कोई एकल ट्रेडिंग नियम नहीं है, क्योंकि वे अस्थिरता की डिग्री, मूल्य कारक, लिक्विडिटी का स्तर और ट्रेडर्स के बीच लोकप्रियता में भिन्न हैं। बाजार में प्रवेश करने से पहले, आप जिस संपत्ति का ट्रेड करना चाहते हैं उसकी विशेषताओं को जानें और एक बेसिक कमोडिटी ट्रेडिंग रणनीति का उपयोग करें।
डिस्क्लेमर: कोई भी रणनीति 100% सही ट्रेडिंग परिणाम की गारंटी नहीं दे सकती है।